आज वह ऐसी ही नजरों से बेनी जी आपकी ओर देख रहा है कि अपने समाजवादी स्वरूप को पहचानो और कुछ करो।
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मसलन भारतीय संविधान और गणराज्य का धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी स्वरूप जिसे आज दक्षिणपंथी शक्तियाँ और पूँजीवादी लाख कोशिशों के बाद भी बदलवाने में सक्षम नहीं हो सके हैं।
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मसलन भारतीय संविधान और गणराज्य का धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी स्वरूप जिसे आज दक्षिणपंथी शक्तियाँ और पूँजीवादी लाख कोशिशों के बाद भी बदलवाने में सक्षम नहीं हो सके हैं।
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यह आज्ञप्ति वास्तविक समाजवादी स्वरूप की थी और अगर कम्यून कुछ ज्यादा चला होता, तो निस्सन्देह उसका समाजवादी चरित्र और भी अधिक स्पष्टता के साथ सामने आया होता।